दिल्ली-NCR में वायु की गुणवत्ता में गिरावट

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वायु प्रदूषण, आजकल एक ऐसी समस्या बन चुकी है जिसने विश्व के हर कोने में अपनी महसूसी बना रखी है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। खासकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में यह समस्या और भी जटिल रूप में पेश आ रही है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता पिछले कुछ समय में तेजी से बिगड़ रही है। इसका सीधा असर नागरिकों की सेहत पर हो रहा है, जिससे सांस लेने में परेशानियां, आंखों में जलन और अन्य रेस्पिरेटरी रोग जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।

आँकड़े और पूर्वानुमान यह सूचित कर रहे हैं कि अगर समय रहते उपयुक्त कदम नहीं उठाए गए तो वायु गुणवत्ता जल्द ही “बहुत खराब” श्रेणी में आ सकती है।


दिल्ली राजधानी में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो रही है। दिल्ली-NCR में ग्रैप के दूसरे चरण की लागू करने की प्रक्रिया पूरी हो गई है, जिससे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके। इसके अंतर्गत, सीएनजी, इलेक्ट्रिक बसें और मेट्रो सेवाओं को अधिक प्रोत्साहित किया गया है। इसके अलावा, पार्किंग की दर में वृद्धि की गई है, ताकि लोग प्राइवेट गाड़ी का उपयोग कम करें। जब दिल्ली की हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आने की संभावना हुई, तब केंद्र सरकार का वायु गुणवत्ता आयोग ने ये कदम उठाए। सर्दियों में प्रदूषण से मुकाबला करने के लिए ग्रैप के विभिन्न चरण लागू किए जाते हैं, जो AQI पर आधारित हैं। लोग अब यह भी जानना चाहते हैं कि अगर ग्रैप के तीसरे चरण को लागू किया जाए, तो उसमें कौन-कौन सी प्रतिबंधितियां होंगी, क्योंकि दिल्ली की AQI 306 हो चुकी है।

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