वन अधिकार अधिनियम के तहत, झारखंड सरकार ने भूमि स्वामित्व कार्यक्रम की शुरुआत की

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6 नवंबर को, झारखंड सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया और “अबुआ बीर दिशोम अभियान” की शुरुआत की। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य था वन अधिकार अधिनियम के तहत व्यक्तियों और समुदायों को उनके अधिकारों की पहचान और सुरक्षित करना, खासकर अनुसूचित जनजातियों और पारंपरिक वन निवासियों के लिए। इस पहल के माध्यम से, सरकार ने वन क्षेत्रों के भीतर स्व-खेती, निवास, और विभिन्न गतिविधियों के लिए अधिकारों की समझ को बढ़ावा देने का निशाना रखा है।

यह अभियान विशेष रूप से वन निवासियों के जीवन को सुधारने और उनके अधिकारों को सुरक्षित करने के प्रति प्रतिबद्ध है। अनुसूचित जनजातियों के लिए वन अधिकार अधिनियम एक महत्वपूर्ण कदम है जो उन्हें वन्यजीवों के साथ अनुसंधान, संरक्षण, और उपयोग के लिए उनके परंपरागत भूमि के अधिकार देता है।

झारखंड के वन निवासियों के लिए इस पहल का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह उन्हें अपनी परंपरागत जीवनशैली को जारी रखने और अपने वनों की सुरक्षा के लिए मजबूती प्रदान करेगा। यह अभियान वन संसाधनों की बेहतर व्यवस्था और उनके संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिससे प्राकृतिक वातावरण की रक्षा की जा सके।

इसके अलावा, अबुआ बीर दिशोम अभियान एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि सरकार किसी भी समुदाय के अधिकारों की समझ को पढ़ावा देने के लिए कैसे कदम उठा सकती है। यह अभियान एक समृद्धि और सामाजिक समरसता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है जो सभी नागरिकों को बराबरी के साथ जीवन जीने का अवसर प्रदान करता है।

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