भारत में आयकर रिटर्न देखकर आय में असमानता और बदलाव की प्रक्रिया को समझा जा सकता है

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आयकर विभाग के हाल ही में प्रकाशित आंकड़े मूल्यांकन वर्ष 2019-20 से 2021-22 के लिए बहुत ही शिक्षाप्रद हैं। इन आंकड़ों का अध्ययन भारत में करदाता अनुपालन और आय वितरण में हुए बदलावों का परिचायक है।

आयकर का महत्व सिर्फ सरकार की राजस्व संग्रहण की प्रक्रिया में ही सीमित नहीं है। यह एक देश की आर्थिक स्वास्थ्य का भी मापदंड है। जिस प्रकार से करदाता अनुपालन हो रहा है और जिस प्रकार से आय वितरण हो रहा है, वह देश की समृद्धि, विकास और समाजिक न्याय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

हालांकि, विभाग द्वारा प्रकाशित आंकड़ों में एक चिंताजनक पहलु को भी देखा जा सकता है। बड़ी संख्या में लोग जो अब आयकर के दायरे में आ चुके हैं, वे अपने आयकर रिटर्न जमा करने में असफल हो रहे हैं। यह एक बड़ी समस्या है क्योंकि यह सरकार के राजस्व की कमी के रूप में निर्माण हो सकता है।

नीति निर्माताओं को इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि ऐसा क्यों हो रहा है। क्या प्रक्रिया में कोई जटिलता है जिससे लोग पीछे हट रहे हैं? या फिर कुछ समाजिक या आर्थिक कारण हैं जो इस अनुपालन को रोक रहे हैं?

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