पीली क्रांति के पिता

0 Comments

जब हम भारतीय प्रौद्योगिकी और तकनीकी जागरूकता की बात करते हैं, सैम पित्रोदा का नाम स्वाभाविक रूप से उठता है। सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा, जिसे सैम पित्रोदा के रूप में सम्मानित किया जाता है, ने अपने जीवन में अनगिनत योगदान दिए हैं जो भारत के प्रौद्योगिकी जागरूकता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

उनका जीवन प्रौद्योगिकी और नवाचार की उन्हें दी गई प्राथमिकता से प्रेरित है। जिस तरह उन्होंने दूरसंचार क्षेत्र में काम किया, वह उदाहरण स्थापित करता है। पित्रोदा ने उस समय में दूरसंचार क्षेत्र में योगदान दिया जब भारत के पास सीमित संसाधन थे, लेकिन उनकी दृढ़ता और संकल्पना ने भारत को दूरसंचार के क्षेत्र में विश्व स्तरीय मानक पर पहुंचाया।

उनके योगदान की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने भारत में ग्रामीण विकास को एक नई पहचान दी। “पीली क्रांति के जनक” की उपाधि से सम्मानित होना उनकी अद्वितीय सोच और समर्पण को दर्शाता है। भारत में कृषि के परिवर्तन में उनका योगदान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने प्रौद्योगिकी का समर्थन किया और ग्रामीण भारत को उसकी अधिकतम सीमा तक पहुंचाने में मदद की।

समास्याओं के समाधान में पित्रोदा की सोच और उनके द्वारा अपनाए गए उपाय हमें प्रेरित करते हैं। उनकी उल्लेखनीय यात्रा ने हमें यह सिखाया कि प्रौद्योगिकी और नवाचार से ही समाज में सच्चे परिवर्तन की संभावना है।

भारत में विकसनशील कृषि के अनेक आयाम हैं, और पीली क्रांति उनमें से एक महत्वपूर्ण आयाम है। जिस प्रकार से हरा क्रांति ने अनाज उत्पादन को बढ़ावा दिया, ठीक उसी तरह पीली क्रांति ने तिलहन उत्पादन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

तिलहन, जिसे खाने का तेल, पशु आहार, और अन्य उद्योगों में उपयोग किया जाता है, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक आवश्यक घटक है। इसके आर्थिक महत्व को देखते हुए, पीली क्रांति की शुरुआत हुई, जिससे तिलहन की खेती और उत्पादन में वृद्धि हो सके।

इस क्रांति का प्रमुख उद्देश्य था कि देश तिलहन के आयात पर अधिक निर्भर न हो, बल्कि घरेलू उत्पादन में वृद्धि की जाए। यह भारत को आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूती प्रदान करता है और किसानों की आजीविका को भी सुदृढ़ बनाता है।

पीली क्रांति ने किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान भी प्रदान किया। चाहे वह बीजों की उचितता हो, सिंचाई सुविधाएं हो या उर्वरकों और कीटनाशकों का सही उपयोग, पीली क्रांति ने इस सभी पर सहायक हाथ प्रदान किया।

अंत में, पीली क्रांति ने भारतीय कृषि के मानचित्र में एक अद्वितीय स्थान बनाया है। यह भारत के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक अहम कदम माना जाता है, जिससे किसान, उद्योग और देश का सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था लाभान्वित होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.