CCPI-2022 जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में भारत की रैकिंग सुधरी

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2023 में 63 देशों की सूची में दो पायदान ऊपर चढ़कर आठवें स्थान पर आ गया है और इसका श्रेय उसके निम्न उत्सर्जन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के लगातार बढ़ते उपयोग को जाता है। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले तीन गैर सरकारी संगठनों ने यह रिपोर्ट जारी की। ये तीनों संगठन यूरोपीय संघ तथा 59 देशों के जलवायु संबंधी कार्य प्रदर्शन पर नजर रखते हैं। ये दुनिया में 92% से अधिक ग्रीनहाउस गैस इमिशन के लिय जिम्मेदार है. इस रैंकिंग में अमेरिका 52वें, कनाडा 58वें, रूस 59वें और ईरान लास्ट (63वें) स्थान पर है जो परफॉर्मेंस में वेरी लो कैटेगरी में शामिल है.। इस रैंकिंग में यूरोपियन यूनियन और 59 देशों के क्लाइमेट परफॉर्मेंस को ट्रैक करते हुए तैयार किया गया है।

क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स क्या है :

इस रिपोर्ट में पहले तीन स्थान खाली रखे गये हैं क्योंकि ‘किसी भी देश ने सूचकांक की सभी श्रेणियों में इतना प्रदर्शन नहीं किया है कि उन्हें संपूर्ण अच्छी रेटिंग दी जाए।’ उसने डेनमार्क को चौथे, स्वीडन को पांचवें और चिली को छठे स्थान पर रखा है। भारत को ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन एवं ऊर्जा उपयोग श्रेणियों में अच्छी रेटिंग मिली है जबकि उसे जलवायु नीति तथा नवीकरणीय ऊर्जा खंडों में मध्यम रेटिंग मिली है। दुनिया में सबसे बड़ा प्रदूषक देश चीन 13 पायदान नीचे गिरकर 51 वें नंबर पर आ गया है तथा उसे कोयला आधारित नये विद्युत संयंत्रों की योजना के चलते खराब रेटिंग मिली है। अमेरिका तीन पायदान चढ़कर 52 वें नंबर पर है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 75% से अधिक उत्सर्जन G20 के देश करते हैं, इसके आधार पर कह सकते है कि G20 देशों की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है. कनाडा, रूस, दक्षिण कोरिया और सऊदी अरब G20 के सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में शामिल है।

CCPI 59 देशों और यूरोपीय संघ का मूल्यांकन करता है, जो मिलकर वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 90%+ उत्पन्न करते हैं। मानकीकृत मानदंडों का उपयोग करते हुए, CCPI 14 संकेतकों के साथ चार श्रेणियों को देखता है: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (समग्र स्कोर का 40%), नवीकरणीय ऊर्जा (20%), ऊर्जा उपयोग (20%), और जलवायु नीति (20%)।

क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स उद्देश्य :

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) हर साल संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में जारी किया जाता है। यह एक उपकरण है जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जलवायु राजनीति में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।  यह रैंकिंग जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विभिन्न देशों द्वारा किये गए प्रयासों को ट्रैक करता है। सभी देश 2005 से 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध भी है।

भारत के संदर्भ में :

इस वर्ष के सीसीपीआई में भारत दो स्थान ऊपर चढ़कर 8वें स्थान पर पहुंच गया है। देश सूचकांक में उच्च प्रदर्शन करने वाले देशों में शामिल है। जलवायु नीति और नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से भारत ने जीएचजी उत्सर्जन और ऊर्जा उपयोग श्रेणियों में उच्च रेटिंग अर्जित की है। देश अपने 2030 उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ट्रैक पर है (2 डिग्री सेल्सियस से नीचे के परिदृश्य के साथ संगत)। हालाँकि, नवीकरणीय ऊर्जा मार्ग 2030 लक्ष्य के लिए ट्रैक पर नहीं है।

  1. भारत ने ग्रीन हाउस इमिशन और ऊर्जा उपयोग श्रेणियों में उच्च रेटिंग प्राप्त की है. जबकि भारत को जलवायु नीति और नवीकरणीय ऊर्जा वर्गों में मध्यम रेटिंग दी गयी है।
  2. इन उपायों के आधार पर भारत ने क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स में अच्छा परफोर्म किया है।
  3. सीसीपीआई की पिछली रैंकिंग के बाद, भारत ने नेशनल लेवल पर  निर्धारित योगदान को अपडेट किया है. साथ ही भारत 2070 तक नेट-जीरो इमिशन का लक्ष्य भी रखा है।
  4. भारत पेरिस समझौते के तहत ग्लोबल टेम्परेचर वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे लाने और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की भी योजना बनायीं है।
  5. साथ ही भारत, 2005 के स्तर से 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध भी है।
  6. भारत ने ग्रीन हाउस इमिशन को कम करने के कई अच्छे उपाय किये है और उन पर गंभीरता से अमल भी किया जा रहा है, जिस कारण से भारत ने इस रैंकिग में अच्छा प्रदर्शन किया है।

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