राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना  प्रत्यक्ष लाभ अंतरण  का हिस्सा बनेगी

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शल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (NAPS) अब प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) योजना का एक हिस्सा होगी।

राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (NAPS)

पूरे भारत में शिक्षुता प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए 19 अगस्त, 2016 को राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत शिक्षुता करने वाले प्रतिष्ठानों को भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसका उद्देश्य नियोक्ताओं को प्रशिक्षुओं को काम पर रखने के लिए प्रेरित करना और गहन कौशल विकास के माध्यम से उनकी क्षमता को अधिकतम करने के अलावा नौकरी की भूमिका खोजने में सहायता करना है। अब तक 12 लाख से अधिक प्रशिक्षु कई उद्योगों से जुड़ चुके हैं।

योजना का महत्व

राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना विभिन्न शिक्षुता सुधारों की शुरुआत करके भारत को ‘विश्व की कौशल राजधानी’ बनने में मदद कर रही है, जिसका उद्देश्य कुशल जनशक्ति का निर्माण करना है।

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC)

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम एक गैर-लाभकारी पब्लिक लिमिटेड कंपनी है। इसे 31 जुलाई, 2008 को गठित किया गया था। इसे वित्त मंत्रालय द्वारा एक सार्वजनिक निजी भागीदारी  मॉडल में स्थापित किया गया था। भारत सरकार के पास राष्ट्रीय कौशल विकास निगम की 49% शेयर पूंजी है, जबकि निजी क्षेत्र के पास शेष 51% शेयर पूंजी है।

  • इस समावेश के साथ, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम सभी प्रशिक्षुओं को प्रत्यक्ष सरकारी लाभ प्रदान करेगा।
  • पहले कंपनियां प्रशिक्षुओं को पूरी राशि का भुगतान करती थीं और फिर सरकार से प्रतिपूर्ति की मांग करती थीं।
  • DBT योजना के शुभारंभ के साथ, सरकार राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के माध्यम से प्रशिक्षुओं के योगदान को सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित कर देगी।
  • सरकार वजीफा का 25% भुगतान करेगी, जो  1500/- प्रति माह रुपये तक देय है।

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