RBI ने छठी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति की जारी: रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव

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भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने अपनी छठी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति 2019-20 जारी कर दी है। 

भारतीय रिजर्व बैंक की एमपीसी ने पॉलिसी रेपो दर 5.15% को बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया है। MPC ने विकास को पुनर्जीवित करने के लिए मौद्रिक नीति के आक्रामक रुख को बनाए रखने का भी फैसला किया है, जबकि यह सुनिश्चित किया है कि मुद्रास्फीति लक्ष्य का ज्रयों का त्यों बना रहेगा।

छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति की बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय हैं:-

चलनि‍धि समायोजन सुवि‍धा (LAF) के अंतर्गत रेपो दर 5.15% तक अपरिवर्तित रही

LAF के अंतर्गत रिवर्स रेपो दर समान रही यानी 4.90%

सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दर और बैंक दर भी समान रही अर्थात 5.40%

RBI ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी ग्रोथ को 5% से बढ़ाकर 6% कर दिया है।

मौद्रिक नीति क्या है?मौद्रिक नीति रिज़र्व बैंक की नीति है जो अधिनियम में वर्णित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रेपो दर, रिवर्स रेपो दर, लिक्विडिटी समायोजन सुविधा जैसे और कई अन्य मौद्रिक साधनों का उपयोग करती है। 

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है।

मौद्रिक नीति के उद्देश्य?देश में मौद्रिक नीति का मुख्य लक्ष्य विकास के साथ-साथ मूल्य स्थिरता को बनाए रखना है। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मूल्य स्थिरता को एक आवश्यक पूर्व शर्त के रूप में देखा जाता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक को मई 2016 में किए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 संशोधन के अनुसार भारत सरकार के साथ-साथ लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण का कार्य भी दिया गया हैं। यह प्रत्येक पाँच में एक बार किया जाता है। 

भारत सरकार ने आधिकारिक राजपत्र में 5 अगस्त, 2016 से 31 मार्च, 2021 की अवधि के लिए लक्ष्य के रूप में 4 प्रतिशत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को अधिसूचित किया है। लक्ष्य को ऊपरी सहन सीमा 6 प्रतिशत और निचली सहन सीमा 2 प्रतिशत तय की गई है।

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